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कभी-कभी
 
 
 
आज फिर
 
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गरज रहे हैं बादल
 
गरज रहे हैं बादल
 
बरस रहा है पानी
 
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तरस रहा हूं मैं
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दो चार बूंदों के लिए
 
दो चार बूंदों के लिए
1994
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फिर और किसी दिन
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गरजेंगे बादल
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बरसेगा पानी
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और भीग जाऊँगा मैं भी
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बरसात के पानी में
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बरस जाऊँगा मैं भी
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एक दिन
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रचनाकाल : 1994
 
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11:48, 6 जून 2010 के समय का अवतरण

आज फिर
गरज रहे हैं बादल
बरस रहा है पानी
तरस रहा हूँ मैं
दो चार बूंदों के लिए

फिर और किसी दिन
गरजेंगे बादल
बरसेगा पानी
और भीग जाऊँगा मैं भी
बरसात के पानी में

बरस जाऊँगा मैं भी
एक दिन

रचनाकाल : 1994