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"कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
 
  
कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती
 
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
 
 
न यों मुंह फेरकर सो जा, मेरी तकदीर के मालिक!
 
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
 
 
वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग्मा निकलता है
 
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती
 
 
हमारा दिल तो कहता है, उन्हें भी प्यार है हमसे
 
तड़प उसकी भले ही हमको दिखलायी नहीं जाती
 
 
नहीं जाती, गुलाब! उन शोख आँखों की महक दिल से
 
हमारे आईने से अब वो परछाईं नहीं जाती
 
<poem>
 

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