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"आँच / अरुण चन्द्र रॉय" के अवतरणों में अंतर

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अपना धैर्य
 
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अपनी नरमाहट से
 
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दिया ए़क नया जीवन
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दिया एक नया जीवन
 
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12:01, 23 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

1.
सही आँच पर
पकती है
रोटी
नरम और
स्वादिष्ट
बताया था
तुमने
जब खो रहा था
मैं
अपना धैर्य

2.
जब तक
चूल्हे में रहती है
आँच
रहती है
मर्यादित

3.
रिश्तों को
सहेजने के लिए भी
चाहिए
भावों की
सही आँच
समय-समय पर

4.
आँच
कई बार
शीतल होती है
जैसे
तुम्हारे
आँचल की आँच
जिसने
अपनी नरमाहट से
दिया एक नया जीवन