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07:27, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
गमावै
इयां ईं
परमाद में
मोत्यां मूंघी
सांसां,
थारै स्यूं तो
जबरी
मुई खाल
जकी गाळै
वजरमान लोह,
बणावै
हल रो चऊ
गांठणै री रांपी,
आवै
रोजीना
मोटो सूरज
बारणै
पण चल्यो जावै पाछो
देख‘र तनै सूतो
कैंतो की मरम री बात
जे तू
जागतो हूंतो !