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"सोनिया समन्दर / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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सोनिया समन्दर
 
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सामने
 
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लहराता है
 
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जहाँ तक नज़र जाती है,
 
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सोनिया समन्दर !
 
सोनिया समन्दर !
 
  
 
बिछा है मैदान में
 
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सोन ही सोना
 
सोन ही सोना
 
 
सोना ही सोना
 
सोना ही सोना
 
 
सोना ही सोना
 
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गेहूँ की पकी फसलें तैयार हैं--
 
गेहूँ की पकी फसलें तैयार हैं--
 
 
बुला रही हैं
 
बुला रही हैं
 
 
खेतिहरों को
 
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..."ले चलो हमें
 
..."ले चलो हमें
 
 
खलिहान में--
 
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घर की लक्ष्मी के
 
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हवाले करो
 
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ले चलो यहाँ से"
 
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बुला रही हैं
 
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गेहूँ की तैयार फसलें
 
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अपने-अपने कॄषकों को...
 
अपने-अपने कॄषकों को...
  
  
1983 में रचित
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'''1983 में रचित
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12:50, 25 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

सोनिया समन्दर
सामने
लहराता है
जहाँ तक नज़र जाती है,
सोनिया समन्दर !

बिछा है मैदान में
सोन ही सोना
सोना ही सोना
सोना ही सोना

गेहूँ की पकी फसलें तैयार हैं--
बुला रही हैं
खेतिहरों को
..."ले चलो हमें
खलिहान में--
घर की लक्ष्मी के
हवाले करो
ले चलो यहाँ से"

बुला रही हैं
गेहूँ की तैयार फसलें
अपने-अपने कॄषकों को...


1983 में रचित