भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फूलों ने होली / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
+ | {{KKAnthologyHoli}} | ||
<poem> | <poem> | ||
फूलों ने | फूलों ने |
18:49, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण
फूलों ने
होली
फूलों से खेली
लाल
गुलाबी
पीत-परागी
रंगों की रँगरेली पेली
काम्य कपोली
कुंज किलोली
अंगों की अठखेली ठेली
मत्त मतंगी
मोद मृदंगी
प्राकृत कंठ कुलेली रेली
रचनाकाल: ०४-०३-१९९१