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"यक्ष-प्रश्न / राजेश चड्ढ़ा" के अवतरणों में अंतर
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20:31, 1 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
ख़ुद को ,
ख़ुद से
ढ़ूंढ़ कर,
ले आया हूं ,
भीतर से बाहर ।
भीतर था ,
तो मुझे ,
मैं-
दिखाई देता था ।
बाहर हूं ,
तो-
तुम्हें दिखाई देता हूं ।
सवाल ये है-
कि आख़िर,
मैं दिखता कैसा हूं ?