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"दिल्ली में एक दिन / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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उस छोटे से शहर में एक सुबह | उस छोटे से शहर में एक सुबह | ||
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या शाम या किसी छुट्टी के दिन | या शाम या किसी छुट्टी के दिन | ||
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मैंने देखा पेड़ों की जड़ें | मैंने देखा पेड़ों की जड़ें | ||
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मज़बूती से धरती को पकड़े हुए हैं | मज़बूती से धरती को पकड़े हुए हैं | ||
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हवा थी जिसके चलने में अब भी एक रहस्य बचा था | हवा थी जिसके चलने में अब भी एक रहस्य बचा था | ||
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सुनसान सड़क पर | सुनसान सड़क पर | ||
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अचानक कोई प्रकट हो सकता था | अचानक कोई प्रकट हो सकता था | ||
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आ सकती थी किसी दोस्त की आवाज़ | आ सकती थी किसी दोस्त की आवाज़ | ||
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कुछ ही देर बाद | कुछ ही देर बाद | ||
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इस छोटे से शहर में आया | इस छोटे से शहर में आया | ||
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शोर कालिख पसीने और लालच का बड़ा शहर | शोर कालिख पसीने और लालच का बड़ा शहर | ||
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(1994 में रचित) | (1994 में रचित) | ||
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15:41, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
उस छोटे से शहर में एक सुबह
या शाम या किसी छुट्टी के दिन
मैंने देखा पेड़ों की जड़ें
मज़बूती से धरती को पकड़े हुए हैं
हवा थी जिसके चलने में अब भी एक रहस्य बचा था
सुनसान सड़क पर
अचानक कोई प्रकट हो सकता था
आ सकती थी किसी दोस्त की आवाज़
कुछ ही देर बाद
इस छोटे से शहर में आया
शोर कालिख पसीने और लालच का बड़ा शहर
(1994 में रचित)