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"ऐसा समय / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते | जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते | ||
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बेघर कोई घर नहीं बनाते | बेघर कोई घर नहीं बनाते | ||
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जो पागल हैं वे जान नहीं पाते | जो पागल हैं वे जान नहीं पाते | ||
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कि उन्हें क्या चाहिए | कि उन्हें क्या चाहिए | ||
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यह ऎसा समय है | यह ऎसा समय है | ||
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बहरा बेघर पागल । | बहरा बेघर पागल । | ||
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(1992) | (1992) | ||
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14:39, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
जिन्हें दिखता नहीं
उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझता
जो लंगड़े हैं वे कहीं नहीं पहुँच पाते
जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते
बेघर कोई घर नहीं बनाते
जो पागल हैं वे जान नहीं पाते
कि उन्हें क्या चाहिए
यह ऎसा समय है
जब कोई हो जा सकता है अंधा लंगड़ा
बहरा बेघर पागल ।
(1992)