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"राम जी की माया / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ
 
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शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया ।
 
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दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया
 
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जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया ।
 
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मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया ।
 
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12:50, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

कोई बेचैन फिरता है, कोई घबराया घबराया
कयामत के दिन आए हैं, राम जी की माया ।

तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ
जुल्म व सितम का एक सिलसिला चलाया ।

घर अँधेरे हो गए, गलियाँ दिखती हैं वीरान
शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया ।

दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया
जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया ।

पिछले कुछ समय से हंगामा है इस मुल्क में
मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया ।

(2003)