"पुराना दोस्त / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय | |संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | (हरि भटनागर के लिए ) | ||
+ | |||
+ | इतने बरस बाद आज जब तुमको देखा | ||
+ | मन में आया बस एक यही जोखा-लेखा | ||
+ | बदल गई दुनिया सारी पर तुम वहीं हो | ||
+ | जहाँ देखा था दशकों पहले वहीं कहीं हो | ||
+ | |||
+ | सरल-सनेही वैसे ही तुम जैसे तब थे | ||
+ | गर्मी-सर्दी-वर्षा ऋतु में तुम करतब थे | ||
+ | टूटी चप्पल, पैन्ट-कमीज़ में घूमा करते | ||
+ | न माँगते किसी से कुछ, बस झूमा करते | ||
+ | |||
+ | प्रीति रहती थी साथ तुम्हारे और थी भाषा | ||
+ | रचना की मन में रहती थी बस अभिलाषा | ||
+ | रंगों का संयोजन करती थी प्रीति तुम्हारी | ||
+ | मैं डूबा रहता उस प्रीति में था बलिहारी | ||
+ | |||
+ | दो-दो दिन तुम दोनों संग मैं करता फाका | ||
+ | जीवन को तब हमने सूखे चनों से हाँका | ||
+ | यार-दोस्तों के शर-शूल सब सह जाते थे | ||
+ | गृहविहीन हम यहाँ-वहाँ कहीं रह जाते थे | ||
+ | |||
+ | आज बदलकर मैं हो गया मोटा-ताज़ा | ||
+ | तुम वैसे ही बने हुए हो सुक्खड़ राजा | ||
+ | टूटी चप्पल, पैंट-कमीज़ में घूमा करते | ||
+ | न चाहो किसी से कुछ, बस झूमा करते | ||
+ | |||
+ | 1997 | ||
+ | </poem> |
13:12, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
(हरि भटनागर के लिए )
इतने बरस बाद आज जब तुमको देखा
मन में आया बस एक यही जोखा-लेखा
बदल गई दुनिया सारी पर तुम वहीं हो
जहाँ देखा था दशकों पहले वहीं कहीं हो
सरल-सनेही वैसे ही तुम जैसे तब थे
गर्मी-सर्दी-वर्षा ऋतु में तुम करतब थे
टूटी चप्पल, पैन्ट-कमीज़ में घूमा करते
न माँगते किसी से कुछ, बस झूमा करते
प्रीति रहती थी साथ तुम्हारे और थी भाषा
रचना की मन में रहती थी बस अभिलाषा
रंगों का संयोजन करती थी प्रीति तुम्हारी
मैं डूबा रहता उस प्रीति में था बलिहारी
दो-दो दिन तुम दोनों संग मैं करता फाका
जीवन को तब हमने सूखे चनों से हाँका
यार-दोस्तों के शर-शूल सब सह जाते थे
गृहविहीन हम यहाँ-वहाँ कहीं रह जाते थे
आज बदलकर मैं हो गया मोटा-ताज़ा
तुम वैसे ही बने हुए हो सुक्खड़ राजा
टूटी चप्पल, पैंट-कमीज़ में घूमा करते
न चाहो किसी से कुछ, बस झूमा करते
1997