भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीवधारा / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=अरुण कमल |
+ | |संग्रह = सबूत / अरुण कमल | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
ख़ूब बरसा है पानी | ख़ूब बरसा है पानी | ||
− | |||
जीवन रस में डूब गई है धरती | जीवन रस में डूब गई है धरती | ||
− | |||
अभी भी बादल छोप रहे हैं | अभी भी बादल छोप रहे हैं | ||
− | |||
अमावस्या का हाथ बँटाते | अमावस्या का हाथ बँटाते | ||
− | |||
बज रही है धरती | बज रही है धरती | ||
− | |||
हज़ारों तारों वाले वाद्य-सी बज रही है धरती | हज़ारों तारों वाले वाद्य-सी बज रही है धरती | ||
− | |||
चारों ओर पता नहीं कितने जीव-जन्तु | चारों ओर पता नहीं कितने जीव-जन्तु | ||
− | |||
बोल रहे हैं ह्ज़ारों आवाज़ों में | बोल रहे हैं ह्ज़ारों आवाज़ों में | ||
− | |||
कभी मद्धिम कभी मंद्र कभी शान्त | कभी मद्धिम कभी मंद्र कभी शान्त | ||
− | |||
कभी-कभी बथान में गौएँ करवट बदलती हैं | कभी-कभी बथान में गौएँ करवट बदलती हैं | ||
− | |||
बैल ज़ोर से छोड़ते हैं साँस | बैल ज़ोर से छोड़ते हैं साँस | ||
− | |||
अचानक दीवार पर मलकी टार्च की रोशनी | अचानक दीवार पर मलकी टार्च की रोशनी | ||
− | |||
कोई निकला है शायद खेत घूमने | कोई निकला है शायद खेत घूमने | ||
− | |||
धरती बहुत सन्तुष्ट बहुत निश्चिन्त है आज | धरती बहुत सन्तुष्ट बहुत निश्चिन्त है आज | ||
− | |||
दूध भरे थन की तरह भारी और गर्म | दूध भरे थन की तरह भारी और गर्म | ||
+ | </poem> |
13:37, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ख़ूब बरसा है पानी
जीवन रस में डूब गई है धरती
अभी भी बादल छोप रहे हैं
अमावस्या का हाथ बँटाते
बज रही है धरती
हज़ारों तारों वाले वाद्य-सी बज रही है धरती
चारों ओर पता नहीं कितने जीव-जन्तु
बोल रहे हैं ह्ज़ारों आवाज़ों में
कभी मद्धिम कभी मंद्र कभी शान्त
कभी-कभी बथान में गौएँ करवट बदलती हैं
बैल ज़ोर से छोड़ते हैं साँस
अचानक दीवार पर मलकी टार्च की रोशनी
कोई निकला है शायद खेत घूमने
धरती बहुत सन्तुष्ट बहुत निश्चिन्त है आज
दूध भरे थन की तरह भारी और गर्म