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उम्र / निवेदिता
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22:34, 22 फ़रवरी 2011
नदियों को मापता हुआ
सूरज मेरे दामन में है
आंखों
आँखों
में चाँदनी
उम्र बेख़ौफ़ है ।
</poem>
अनिल जनविजय
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