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"जिद्दी लतर / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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लतर थी कि मानती ही न थी
 
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मैंने कई बार उसका रुख बदला
 
मैंने कई बार उसका रुख बदला
 
 
एक बार तागा बाँधकर खूँटी से टाँगा
 
एक बार तागा बाँधकर खूँटी से टाँगा
 
 
फिर पर्दे की डोर पर चढ़ा दिया
 
फिर पर्दे की डोर पर चढ़ा दिया
 
 
कुछ देर तक तो उँगलियों से ठेलकर
 
कुछ देर तक तो उँगलियों से ठेलकर
 
 
बाहर भी रक्खा
 
बाहर भी रक्खा
 
 
लेकिन लतर थी कि मानती ही नहीं थी
 
लेकिन लतर थी कि मानती ही नहीं थी
 
 
एक झटके से कमरे के अन्दर
 
एक झटके से कमरे के अन्दर
 
  
 
और बारिश बहुत तेज़
 
और बारिश बहुत तेज़
 
 
बिल्कुल बिछावन और तकिए तक
 
बिल्कुल बिछावन और तकिए तक
 
 
मारती झटास
 
मारती झटास
 
  
 
लेकिन खिड़की बन्द हो तो कैसे
 
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आदमी हो तो कोई कहे भी
 
आदमी हो तो कोई कहे भी
 
 
आप मनी प्लांट की उस जिद्दी लतर को
 
आप मनी प्लांट की उस जिद्दी लतर को
 
 
क्या कहिएगा
 
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जिसकी कोंपल अभी खुल ही रही हो ?
 
जिसकी कोंपल अभी खुल ही रही हो ?
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12:57, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लतर थी कि मानती ही न थी
मैंने कई बार उसका रुख बदला
एक बार तागा बाँधकर खूँटी से टाँगा
फिर पर्दे की डोर पर चढ़ा दिया
कुछ देर तक तो उँगलियों से ठेलकर
बाहर भी रक्खा
लेकिन लतर थी कि मानती ही नहीं थी
एक झटके से कमरे के अन्दर

और बारिश बहुत तेज़
बिल्कुल बिछावन और तकिए तक
मारती झटास

लेकिन खिड़की बन्द हो तो कैसे
आदमी हो तो कोई कहे भी
आप मनी प्लांट की उस जिद्दी लतर को
क्या कहिएगा
जिसकी कोंपल अभी खुल ही रही हो ?