अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
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− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=अरुण कमल |
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चाँदनी में हिलती है परछाईं | चाँदनी में हिलती है परछाईं | ||
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कन्धों से कन्धों पर बँधते हैं हाथ | कन्धों से कन्धों पर बँधते हैं हाथ | ||
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बँधती है पँखुड़ी से पँखुड़ी | बँधती है पँखुड़ी से पँखुड़ी | ||
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जल की धार-सा फूटता है | जल की धार-सा फूटता है | ||
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एक साथ कण्ठों से राग | एक साथ कण्ठों से राग | ||
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चौहट पारती हैं टोले की लड़कियाँ | चौहट पारती हैं टोले की लड़कियाँ | ||
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उठते हैं स्वर | उठते हैं स्वर | ||
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छितराती है धरती पर | छितराती है धरती पर | ||
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राई-सी पाँवों की थाप | राई-सी पाँवों की थाप | ||
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आज इस भादो एकादशी को | आज इस भादो एकादशी को | ||
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चाँदनी रात में | चाँदनी रात में | ||
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लगा जाती है बहन मेरी | लगा जाती है बहन मेरी | ||
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सोच भरे ललाट पर रोली का टीका । | सोच भरे ललाट पर रोली का टीका । | ||
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13:09, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
चाँदनी में हिलती है परछाईं
कन्धों से कन्धों पर बँधते हैं हाथ
बँधती है पँखुड़ी से पँखुड़ी
जल की धार-सा फूटता है
एक साथ कण्ठों से राग
चौहट पारती हैं टोले की लड़कियाँ
उठते हैं स्वर
छितराती है धरती पर
राई-सी पाँवों की थाप
आज इस भादो एकादशी को
चाँदनी रात में
लगा जाती है बहन मेरी
सोच भरे ललाट पर रोली का टीका ।