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| {{KKRachna | | {{KKRachna |
| |रचनाकार=तुलसीदास | | |रचनाकार=तुलसीदास |
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| + | |संग्रह=विनयावली / तुलसीदास |
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− | [[Category:लम्बी रचना]]
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− | {{KKPageNavigation
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− | |पीछे=विनयावली() / तुलसीदास / पृष्ठ 1 | + | |
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− | |सारणी=विनयावली() / तुलसीदास
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− | (6)
| + | * [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 1]] |
− | | + | * [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 2]] |
− | जँाचिये गिरिजापति कासी।
| + | * [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 3]] |
− | जासु भवन अनिमादिक दासी।।
| + | * [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 4]] |
− | औढर-दानि द्रवत पुनि थोरें।
| + | * [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 5]] |
− | सकत न देखि दीन कर जोरें।।
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− | सुख-संपति, मति-सुगति, सुहाई।
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− | सकल सुलभ संकर-सेवकाई।।
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− | गये सरन आरतिकै लीन्हें।
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− | निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हें।।
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− | तुलसिदास -जातक जस गावैं।
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− | बिमल भगति रघुपतिकी पावै।
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− | क्कस न दीनपर द्रवहु उमाबर।
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− | दारून बिपति हरन करूनाकर।।
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− | बेद-पुरान कहत उदार हर।
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− | हमरि बेर कस भयेहु कृपिनतर।।
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− | कवनि भगति कीन्ही गुननिधि द्विज।
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− | होइ प्रसन्न दिन्हेहु सिव पद निज।।
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− | जो गति अगम महामुनि गावहिं।
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− | तव पुर कीट पतंगहु पावहिं।।
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− | देहु काम-रिपु!राम-चरन-रति।
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− | तुलसिदास प्रभु! हरहु भेद-मति।।
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