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गिरते गिरते गिरते आख़िरश हम हो जाते हैं घास
 
गिरते गिरते गिरते आख़िरश हम हो जाते हैं घास
 
 
अपनी कमर तक उठकर गिरती हुई चरागाह में एक दिन
 
अपनी कमर तक उठकर गिरती हुई चरागाह में एक दिन
 
 
टीलों पर झण्डियाँ दिखाती प्रतीक्षा करती है हवा
 
टीलों पर झण्डियाँ दिखाती प्रतीक्षा करती है हवा
 
  
 
छोटी सी सूचना छपाकर पत्थर लुढ़कते हैं
 
छोटी सी सूचना छपाकर पत्थर लुढ़कते हैं
 
 
बेख़बर लोगों में हैरानी मचाते हुए : हैराँ अख़बार को
 
बेख़बर लोगों में हैरानी मचाते हुए : हैराँ अख़बार को
 
 
आना पड़ता है इन्हीं टीलों तक सड़कों पर धूल में
 
आना पड़ता है इन्हीं टीलों तक सड़कों पर धूल में
 
 
निर्विकार हो जाना होता है
 
निर्विकार हो जाना होता है
 
 
इतवारी संस्करणों के लेखक बार बार करते हैं
 
इतवारी संस्करणों के लेखक बार बार करते हैं
 
 
पेड़ों की शहादत में गुनाहों का इक़बाल
 
पेड़ों की शहादत में गुनाहों का इक़बाल
 
  
 
ज़मीन में घुसकर तमाम खदानें चर जाने के बाद
 
ज़मीन में घुसकर तमाम खदानें चर जाने के बाद
 
 
शान्ति उगती है पृथ्वी पर घास बन कर
 
शान्ति उगती है पृथ्वी पर घास बन कर
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19:01, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

गिरते गिरते गिरते आख़िरश हम हो जाते हैं घास
अपनी कमर तक उठकर गिरती हुई चरागाह में एक दिन
टीलों पर झण्डियाँ दिखाती प्रतीक्षा करती है हवा

छोटी सी सूचना छपाकर पत्थर लुढ़कते हैं
बेख़बर लोगों में हैरानी मचाते हुए : हैराँ अख़बार को
आना पड़ता है इन्हीं टीलों तक सड़कों पर धूल में
निर्विकार हो जाना होता है
इतवारी संस्करणों के लेखक बार बार करते हैं
पेड़ों की शहादत में गुनाहों का इक़बाल

ज़मीन में घुसकर तमाम खदानें चर जाने के बाद
शान्ति उगती है पृथ्वी पर घास बन कर