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"ज़िया फतेहाबादी / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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ज़िया फ़तेहाबादी साहब का जन्म 1913 ई. में आपके मामा, शंकर दास पुरी के घर कपूरथला, पंजाब में हुआ । आपका जन्म नाम मेहर लाल सोनी था । आपके पिता फ़तेहाबाद (पंजाब) निवासी, मुंशी राम सोनी, एक सिविल इन्जीनियर थे ।
 
ज़िया फ़तेहाबादी साहब का जन्म 1913 ई. में आपके मामा, शंकर दास पुरी के घर कपूरथला, पंजाब में हुआ । आपका जन्म नाम मेहर लाल सोनी था । आपके पिता फ़तेहाबाद (पंजाब) निवासी, मुंशी राम सोनी, एक सिविल इन्जीनियर थे ।
  
ज़िया साहब ने फ़ारमन क्रिश्चियन कालेज, लाहौर, से बी. ए. (ऑनर्स) फ़ारसी, और एम0ए0 अँग्रेज़ी साहित्य, तक की  शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात 1936 ई. से 1971 ईस्वी तक की रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया की नौकरी।
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ज़िया साहब ने फ़ारमन क्रिश्चियन कालेज, लाहौर, से बी. ए. (ऑनर्स) फ़ारसी, और एम .ए. अँग्रेज़ी साहित्य, तक की  शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात 1936 ई. से 1971 ईस्वी तक रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया की नौकरी की और रिटायर होने के बाद दिल्ली में रहने लगे ।
  
जब ज़िया फ़तेहाबादी लाहौर में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी 1930 ई. में वे उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर, सीमाब अकबराबादी के शिष्य हो गए थे । उन्ही दिनों वे उर्दू के मशहूर अफ़सानानिगार कृष्ण चन्दर तथा उर्दू के मशहूर शायरो जोश मलीहाबादी, साग़र निज़ामी, साहिर होशियारपुरी, खुश्तर गिरामी और मीराजी के संपर्क में आए जिनके साथ उनका एक लम्बे अरसे तक सम्बन्ध रहा ।
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जब ज़िया फ़तेहाबादी लाहौर में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी 1930 ई. में वे उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर, सीमाब अकबराबादी के शिष्य हो गए थे । उन्ही दिनों वे उर्दू के मशहूर अफ़सानानिगार कृष्ण चन्दर तथा उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी, साग़र निज़ामी, साहिर होशियारपुरी, खुश्तर गिरामी और मीराजी के संपर्क में आए जिनके साथ उनका एक लम्बे अरसे तक सम्बन्ध रहा ।
  
ज़िया फतेहाबादी साहब ने 1925 से उर्दू भाषा में कवितायेँ लिखना आरम्भ कर दिया था और 1929 तक अपनी एक अलग पहचान बना ली थी । 1933 में मेरठ से साग़र निज़ामी ने उनकी कविताओं का पहला संग्रह " तुल्लू " नाम से प्रकाशित किया। फिर 1937 दूसरा संग्रह ’नूर-ए मशरिक़ प्रकाशित होने के बाद उनका नाम उर्दू दुनिया में ख़ूब जाना-पहचाना लगा। इन संग्रहों के
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ज़िया फ़तेहाबादी साहब ने 1925 से उर्दू भाषा में कवितायेँ लिखना आरम्भ कर दिया था और 1929 तक अपनी एक अलग पहचान बना ली थी । 1933 में मेरठ से साग़र निज़ामी ने उनकी कविताओं का पहला संग्रह " तुल्लू " नाम से प्रकाशित किया । फिर 1937 में दूसरा संग्रह " नूर-ए मशरिक़ " प्रकाशित होने के बाद उनका नाम उर्दू दुनिया में ख़ूब जाना-पहचाना जाने लगा । इन संग्रहों के अतिरिक्त उनके नौ और संग्रह प्रकाशित हुए । कविताओं के अलावा उन्होंने उर्दू अफ़साने भी लिखे और अपने उस्ताद सीमाब की जीवनी " ज़िक्र-ए सीमाब " भी लिखी ।
अतिरिक्त उनके नौ और संग्रह प्रकाशित हुए । कविताओं के अलावा उन्होंने उर्दू अफ़साने भी लिखे और अपने उस्ताद सीमाब की जीवनी ’ज़िक्र-ए सीमाब’ भी लिखी ।
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12:24, 5 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

ज़िया फ़तेहाबादी साहब का जन्म 1913 ई. में आपके मामा, शंकर दास पुरी के घर कपूरथला, पंजाब में हुआ । आपका जन्म नाम मेहर लाल सोनी था । आपके पिता फ़तेहाबाद (पंजाब) निवासी, मुंशी राम सोनी, एक सिविल इन्जीनियर थे ।

ज़िया साहब ने फ़ारमन क्रिश्चियन कालेज, लाहौर, से बी. ए. (ऑनर्स) फ़ारसी, और एम .ए. अँग्रेज़ी साहित्य, तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात 1936 ई. से 1971 ईस्वी तक रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया की नौकरी की और रिटायर होने के बाद दिल्ली में रहने लगे ।

जब ज़िया फ़तेहाबादी लाहौर में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी 1930 ई. में वे उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर, सीमाब अकबराबादी के शिष्य हो गए थे । उन्ही दिनों वे उर्दू के मशहूर अफ़सानानिगार कृष्ण चन्दर तथा उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी, साग़र निज़ामी, साहिर होशियारपुरी, खुश्तर गिरामी और मीराजी के संपर्क में आए जिनके साथ उनका एक लम्बे अरसे तक सम्बन्ध रहा ।

ज़िया फ़तेहाबादी साहब ने 1925 से उर्दू भाषा में कवितायेँ लिखना आरम्भ कर दिया था और 1929 तक अपनी एक अलग पहचान बना ली थी । 1933 में मेरठ से साग़र निज़ामी ने उनकी कविताओं का पहला संग्रह " तुल्लू " नाम से प्रकाशित किया । फिर 1937 में दूसरा संग्रह " नूर-ए मशरिक़ " प्रकाशित होने के बाद उनका नाम उर्दू दुनिया में ख़ूब जाना-पहचाना जाने लगा । इन संग्रहों के अतिरिक्त उनके नौ और संग्रह प्रकाशित हुए । कविताओं के अलावा उन्होंने उर्दू अफ़साने भी लिखे और अपने उस्ताद सीमाब की जीवनी " ज़िक्र-ए सीमाब " भी लिखी ।