भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राम और सलमान खान / मुसाफ़िर बैठा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुसाफ़िर बैठा |संग्रह=बीमार मानस का गेह / मुसाफ…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=मुसाफ़िर बैठा | |रचनाकार=मुसाफ़िर बैठा | ||
|संग्रह=बीमार मानस का गेह / मुसाफ़िर बैठा | |संग्रह=बीमार मानस का गेह / मुसाफ़िर बैठा | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyRam}} |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
19:47, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
अपने को राम भक्त कहने वाले
कुछ लोग कहते हैं
कि राम हिन्दुओं के हैं एकमात्रा समग्र
विधर्मी सलमान खान नहीं कर सकते सिनेमा
राम के वेश में
यही क्या कम है कि
वे रह पा रहे हैं राम के देश में
हे मर्यादा पुरुषोत्तम
शंबूक वध मार्का यश वाले
बेशक आज फिर किसी ने
आप-रचित मर्यादा को
चाहे अचाहे हाथ लगाया है
तब था दलित आज विधर्मी आया है
लेकिन आ गया है अब
इक्कीसवीं सदी का विज्ञान समय
जहां अंधधर्म भावना नहीं
तर्कबलित मानववाद ही काम करेगा
क्या इसीलिए इस हादसे पर
पड़ पशोपेश में
आपने साध लिया मौन है !
2007