भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क़ौस ए कुज़ाह / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़िया फतेहाबादी |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> मेहर ए …) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatNazm}} | {{KKCatNazm}} | ||
− | <poem> | + | <poem> |
− | + | ||
मेहर ए रोशन की आख़िरी किरणें | मेहर ए रोशन की आख़िरी किरणें | ||
रक़स करती हैं काले बादल में | रक़स करती हैं काले बादल में | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 14: | ||
उस कमाँ से वो तीर आते हैं | उस कमाँ से वो तीर आते हैं | ||
जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं | जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं | ||
+ | </poem> |
11:27, 8 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
मेहर ए रोशन की आख़िरी किरणें
रक़स करती हैं काले बादल में
उन शुआओं से रंग गिरते हैं
और दोश ए हवा पे फिरते हैं
और बनाते हैं आसमाँ पे कमाँ
रंगज़ा, रंगबार ओ रंगअफ़शाँ
उस कमाँ से वो तीर आते हैं
जो नज़र की ख़लिश मिटाते हैं