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"हिन्दी कविता में मुक्तिबोध / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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भोजन के वक़्त
 
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गस्सा चबाते हुए
 
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दाँतों के बीच
 
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जैसे महसूस हो किरकिरी
 
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वैसे हैं मुक्तिबोध
 
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हिन्दी कविता में
 
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(1980 में रचित)
 
(1980 में रचित)
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12:20, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

भोजन के वक़्त
गस्सा चबाते हुए
दाँतों के बीच
जैसे महसूस हो किरकिरी
वैसे हैं मुक्तिबोध
हिन्दी कविता में

(1980 में रचित)