भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चित्र में माँ / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
आज न माँ है न नदी | आज न माँ है न नदी | ||
चित्र है नदी का और | चित्र है नदी का और | ||
− | माँ याद आती है ! | + | माँ याद आती है! |
</poem> | </poem> |
16:05, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
माँ के उरोज़ों के बीच
बहती-लहराती नदी में
डूबता-उतराता रहता था
बचपन में
आज मैं साठ की दहलीज पर हूँ
कई तीखी-गहरी, मदमाती-उफनती नदियाँ
देख चुका हूँ
कई नद, नाले, पहाड़
लाँघ चुका हूँ
आज न माँ है न नदी
चित्र है नदी का और
माँ याद आती है!