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दुख भरी तेरी कथा
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सुनने को तैयार हूँ
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मैं भी बेकरार हूँ
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बरसों से तुझ से मिला नहीं
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सूखा ठूँठ खड़ा हूँ मैं
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एक पत्ता भी खिला नहीं
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तू मेरा जीवन-जल था
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रीढ़ मेरी, मेरा संबल था
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अब तुझ से दूर पड़ा हूँ मैं
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(2004 में रचित)
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20:46, 22 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

कवि उदय प्रकाश के लिए

दुख भरी तेरी कथा
तेरे जीवन की व्यथा
सुनने को तैयार हूँ
मैं भी बेकरार हूँ

बरसों से तुझ से मिला नहीं
सूखा ठूँठ खड़ा हूँ मैं
एक पत्ता भी खिला नहीं

तू मेरा जीवन-जल था
रीढ़ मेरी, मेरा संबल था
अब तुझ से दूर पड़ा हूँ मैं


(2004 में रचित)