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"पयोद और धरणी / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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पयोदों की धारा गगन तल घेरे क्षितिज में
 
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विलंबी होती है, धरणि उर का ताप तज के
 
विलंबी होती है, धरणि उर का ताप तज के
 
 
बुलाती गाती है पल-पल, नए भाव उस के
 
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बलाका माला से उठ कर उड़े और फहरे।
बलाका माला से उठ कर उड़े और फहरे.
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05:17, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

पयोदों की धारा गगन तल घेरे क्षितिज में
विलंबी होती है, धरणि उर का ताप तज के
बुलाती गाती है पल-पल, नए भाव उस के
बलाका माला से उठ कर उड़े और फहरे।