अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }} कातिक पयान करने को है, उठाया है दाहिना चरण, ...) |
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कातिक पयान करने को है, उठाया है | कातिक पयान करने को है, उठाया है | ||
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दाहिना चरण, देहरी को लाँघ आया है, | दाहिना चरण, देहरी को लाँघ आया है, | ||
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लेकिन अँगूठा अभी भूमि से लगा नहीं, | लेकिन अँगूठा अभी भूमि से लगा नहीं, | ||
− | + | ऊपर ही ऊपर है, जैसे जगा नहीं । | |
− | ऊपर ही ऊपर है, जैसे जगा नहीं | + | </poem> |