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आज तू उदास है चमेली, | आज तू उदास है चमेली, | ||
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उदासी आ ही जाती है | उदासी आ ही जाती है | ||
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बुलाने कोई जाता है | बुलाने कोई जाता है | ||
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अरी चल | अरी चल | ||
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मुझ से छिपाती है | मुझ से छिपाती है | ||
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कोई बात आज फिर कही होगी भैया ने | कोई बात आज फिर कही होगी भैया ने | ||
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भैया ने ? | भैया ने ? | ||
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उटक्कर ही मारती है तू भी प्रभा | उटक्कर ही मारती है तू भी प्रभा | ||
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भैया अब चुप रहा करते हैं समझी | भैया अब चुप रहा करते हैं समझी | ||
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कुछ नहीं कहते | कुछ नहीं कहते | ||
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तो फिर यह उदासी क्यों है बता | तो फिर यह उदासी क्यों है बता | ||
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रात युगों बाद, स्वप्न देखा | रात युगों बाद, स्वप्न देखा | ||
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स्वप्न देखा वही बार बार इन आँखों को | स्वप्न देखा वही बार बार इन आँखों को | ||
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झलक दे दे जाता है | झलक दे दे जाता है | ||
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क्या देखा | क्या देखा | ||
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देखा वे हमारे द्वार आए हैं | देखा वे हमारे द्वार आए हैं | ||
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रँगे हैं वस्त्र ख़ून से | रँगे हैं वस्त्र ख़ून से | ||
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पसली में बाईं ओर छुरा धँसा हुआ है | पसली में बाईं ओर छुरा धँसा हुआ है | ||
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चेहरे की रेखा रेखा पीड़ा की डगर है | चेहरे की रेखा रेखा पीड़ा की डगर है | ||
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मेरी ओर देखा | मेरी ओर देखा | ||
− | जाने कैसे हँसी आ गई | + | जाने कैसे हँसी आ गई । बोले, "चमो |
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पाँच घाव खाए हैं तुम्हारे लिए | पाँच घाव खाए हैं तुम्हारे लिए | ||
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अभी मन नहीं भरा | अभी मन नहीं भरा | ||
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फिर तन पाऊँ तो तुम्हारी राह आऊँगा | फिर तन पाऊँ तो तुम्हारी राह आऊँगा | ||
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अभी मेरे रोम रोम भूखे हैं | अभी मेरे रोम रोम भूखे हैं | ||
प्रभा, क्या करूँ मैं, बता | प्रभा, क्या करूँ मैं, बता | ||
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क्या करूँ ? | क्या करूँ ? | ||
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04:59, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
आज तू उदास है चमेली,
बात क्या है ।
उदासी आ ही जाती है
बुलाने कोई जाता है
बताऊँ क्या ।
अरी चल
मुझ से छिपाती है
कोई बात आज फिर कही होगी भैया ने
भैया ने ?
उटक्कर ही मारती है तू भी प्रभा
भैया अब चुप रहा करते हैं समझी
कुछ नहीं कहते
तो फिर यह उदासी क्यों है बता
रात युगों बाद, स्वप्न देखा
स्वप्न देखा वही बार बार इन आँखों को
झलक दे दे जाता है
क्या देखा
देखा वे हमारे द्वार आए हैं
रँगे हैं वस्त्र ख़ून से
पसली में बाईं ओर छुरा धँसा हुआ है
चेहरे की रेखा रेखा पीड़ा की डगर है
मेरी ओर देखा
जाने कैसे हँसी आ गई । बोले, "चमो
पाँच घाव खाए हैं तुम्हारे लिए
अभी मन नहीं भरा
फिर तन पाऊँ तो तुम्हारी राह आऊँगा
अभी मेरे रोम रोम भूखे हैं
प्रभा, क्या करूँ मैं, बता
क्या करूँ ?