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"धोखे में मौत / शिवदयाल" के अवतरणों में अंतर

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अपनी
 
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कितनी दुनियाओं को उजाड़ते हैं!
 
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एक ऐसी दुनिया के लिए
 
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जिसकी कि अभी कोई शक्ल नहीं
 
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किस कदर बेशक़्ल होती जाती हैं!
  
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इतनी साफ़-सुथरी और सेहतमंद जगह
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(दिल्ली में आतंकी हमला - 13 सितम्बर, 2008)
 
(दिल्ली में आतंकी हमला - 13 सितम्बर, 2008)

21:49, 19 मई 2011 के समय का अवतरण

अपनी
अपने लोगों की
अपनी तरह की दुनिया
अपने ढंग से बनाने के लिए
अपनी तरह से
कितनी दुनियाओं को उजाड़ते हैं!

एक ऐसी दुनिया के लिए
जिसकी कि अभी कोई शक्ल नहीं
भरी-पूरी, बसी-बसाई दुनिया
किस कदर बेशक़्ल होती जाती हैं!

ज़िन्दगियाँ वहाँ ख़त्म की जाती हैं
जहाँ कि ज़िन्दगी की आरजू की जाती है
और वहाँ भी
कि जहाँ से ज़रा बचकर
निकलना चाहते हैं
ज़िन्दगी का सामान जुटाने की
जद्दोजहद करते
मेवाराम, हरनाम सिंह, रमजान मियाँ...

काश कि यह दुनिया ऐसी होती,
इतनी साफ़-सुथरी और सेहतमंद जगह
कि न कोई यहाँ अस्पताल होता
न कूड़ेदान
न ज़िन्दगी के धोखे में
मौत का और कोई सामान!

(दिल्ली में आतंकी हमला - 13 सितम्बर, 2008)