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इतने घुप्प अंधेरे में  
 
इतने घुप्प अंधेरे में  
 
 
एक पीली पतंग
 
एक पीली पतंग
 
 
धीरे-धीरे
 
धीरे-धीरे
 
 
आकाश में चढ़ रही है.
 
आकाश में चढ़ रही है.
 
  
 
किसी बच्चे की नींद में है
 
किसी बच्चे की नींद में है
 
 
उसकी गड़ेरी
 
उसकी गड़ेरी
 
  
 
किसी माँ की लोरियों से
 
किसी माँ की लोरियों से
 
 
निकलती है डोर !
 
निकलती है डोर !
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23:37, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इतने घुप्प अंधेरे में
एक पीली पतंग
धीरे-धीरे
आकाश में चढ़ रही है.

किसी बच्चे की नींद में है
उसकी गड़ेरी

किसी माँ की लोरियों से
निकलती है डोर !