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"जो कहते हैं - 'हमसे लड़ाई हुई है' / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हुई थी जिसे बोलने की मनाही  
 
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वो बात आज होठों पे हुई है
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कहाँ उनकी बैठक, कहाँ मेरी चर्चा!
 
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ये बेपर की किसकी उड़ाई हुई है!  
 
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खिलेंगे गुलाब उनकी आंखों में अब तो  
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सुना थोड़ी-थोड़ी ललाई हुई है
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सुना थोड़ी-थोड़ी ललाई हुई है
 
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01:18, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


जो कहते हैं, 'हमसे लड़ाई हुई है'
किसीकी लगाई-बुझाई हुई है

कहो प्यार से छिपके सपनों में आये
अभी रूप को नींद आई हुई है

न छेड़ो इसे भावना रो पड़ेगी
ये पहले ही से चोट खाई हुई है

हुई थी जिसे बोलने की मनाही
वो बात आज होँठों पे आई हुई है

कहाँ उनकी बैठक, कहाँ मेरी चर्चा!
ये बेपर की किसकी उड़ाई हुई है!

खिलेंगे गुलाब उनकी आँखों में अब तो
सुना थोड़ी-थोड़ी ललाई हुई है