Last modified on 9 जुलाई 2011, at 01:11

"याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
  
 
यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
 
यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौकिया तुमने
+
दिल लगाया शौक़िया तुमने
  
 
दो घड़ी और भी ठहर न सके  
 
दो घड़ी और भी ठहर न सके  
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
+
जानेवाले! ये क्या किया तुमने!
  
ज़िन्दगी की क़िताब ख़त्म हुई
+
ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!
+
मुड़के देखा न हाशिया तुमने!
  
 
हमने माना कि मिल न पाये गुलाब  
 
हमने माना कि मिल न पाये गुलाब  
 
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने
 
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने
 
<poem>
 
<poem>

01:11, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


याद मरने पे ही किया तुमने
हमको ऐसा भुला दिया तुमने!

मुँह पे मलकर अबीर होली में
हाथ हरदम को धो लिया तुमने

यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौक़िया तुमने

दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने!

ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
मुड़के देखा न हाशिया तुमने!

हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने