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मुँह से कहते नहीं, 'गुलाब भी है' / गुलाब खंडेलवाल
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19:05, 4 जुलाई 2011
सच है दुनिया हसीन ख़्वाब भी है
फ़ीका
फीका
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फ़ीका
फीका
हुआ है बाग़ का रंग
यों तो होने को एक गुलाब भी है
<poem>
Vibhajhalani
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