गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी! / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
20:49, 22 जुलाई 2011
उसको गुमनाम ही रहने दो कोई नाम न दो
वह जो ख़ुशबू
-
सी निगाहों में इंतज़ार की थी
दोष लहरों का नहीं था न किनारों का क़सूर
Vibhajhalani
2,913
edits