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"विश्वास / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारी कविता में
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मन होता जब
बहुत बार
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बहुत उदास
हथेलियों के बीच…
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कविता पास आ जाती
मरी तितलियों का रंग उतरता है
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अनायास
बहुत बार
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सूझती नहीं राह
 +
अँधेरा बहुत घना होता
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कविता जलती है दिए -सी
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फैलता प्रकाश
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जब होता है
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हारा हुआ मन
 +
छाई होती -टूटन और थकन
 +
कविता
 +
जगाती आस
 +
बन जाती
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आस्था और विश्वास।
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तुम्हारी कविता में रंग भरता है
 
ऊंचे आकाश में
 
चिड़िया मासूम कोई जब
 
बाज़ के पंजों में समाती है
 
शब्दों की बहादुरी
 
तुम्हारी कविता में भर जाती है
 
मेरी संवेदना
 
जाने क्यों
 
इन पन्नों पर जाती हुई
 
शर्माती है।
 
  
  
 
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20:47, 19 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


मन होता जब
बहुत उदास
कविता पास आ जाती
अनायास
सूझती नहीं राह
अँधेरा बहुत घना होता
कविता जलती है दिए -सी
फैलता प्रकाश
जब होता है
हारा हुआ मन
छाई होती -टूटन और थकन
कविता
जगाती आस
बन जाती
आस्था और विश्वास।