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"विश्वास / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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कविता पास आ जाती
 
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अनायास
 
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सूझती नहीं राह
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अँधेरा बहुत घना होता
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कविता जलती है दिए -सी
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फैलता प्रकाश
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जब होता है
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हारा हुआ मन
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छाई होती -टूटन और थकन
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कविता
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जगाती आस
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बन जाती
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आस्था और विश्वास।
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20:47, 19 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


मन होता जब
बहुत उदास
कविता पास आ जाती
अनायास
सूझती नहीं राह
अँधेरा बहुत घना होता
कविता जलती है दिए -सी
फैलता प्रकाश
जब होता है
हारा हुआ मन
छाई होती -टूटन और थकन
कविता
जगाती आस
बन जाती
आस्था और विश्वास।