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"मिनखपणो / जितेन्द्र सोनी" के अवतरणों में अंतर

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थारी ईद री सिवइयां !
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अब क्यूं नीं करै
 
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रामू अर रुखसाना री मां
 
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भींत रै दोन्यूं कानी  
 
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घरबिद री बातां !
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क्यूं म्हारै घर री आरती
 
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अर थारै घर री नमाज
 
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घोळै कानां मांय सीसो !
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अब कद कूद'र जावैला
 
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खेलण सारू
 
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रामू अर रुखसाना  
 
रामू अर रुखसाना  
अक -दूजै रे घरां !
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अक -दूजै रे घरां!
 
क्यूं कटग्या सलीम  
 
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अब आपां इता  
 
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अक - दूजै सूं !
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बता सलीम बता ,
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आपणै घरां बिचली भींत
 
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मोटी अर ऊँची हुगी
 
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का सलीम अर स्याम रो
 
का सलीम अर स्याम रो
मिनखपणो छोटो ?
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11:04, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

सलीम!
अब क्यूं नीं मांगै
थारी रुखसाना
भींत उपराकर
म्हारै घरां
तीज-तिंवार
रंधियोड़ी खीर!
क्यूं नीं मन करै
मांग ल्ये
म्हारो रामू
थारी ईद री सिवइयां!
अब क्यूं नीं करै
रामू अर रुखसाना री मां
भींत रै दोन्यूं कानी
ऊभी हुय'र
घरबिद री बातां!
क्यूं म्हारै घर री आरती
अर थारै घर री नमाज
घोळै कानां मांय सीसो!
अब कद कूद'र जावैला
खेलण सारू
रामू अर रुखसाना
अक -दूजै रे घरां!
क्यूं कटग्या सलीम
अब आपां इता
अक - दूजै सूं!
बता सलीम बता,
आपणै घरां बिचली भींत
मोटी अर ऊँची हुगी
का सलीम अर स्याम रो
मिनखपणो छोटो?