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तुम कविता में इतना क्यों इतराती हो | तुम कविता में इतना क्यों इतराती हो | ||
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क्या बात है जो मुझे नहीं बतलाती हो | क्या बात है जो मुझे नहीं बतलाती हो | ||
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शब्द-शब्द से नश्तर-तीर चुभोती हो | शब्द-शब्द से नश्तर-तीर चुभोती हो | ||
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हाव-भाव से पीर हृदय में बोती हो | हाव-भाव से पीर हृदय में बोती हो | ||
हाँ, मैं दोषी हूँ, समक्ष तुम्हारे, ससि रानी | हाँ, मैं दोषी हूँ, समक्ष तुम्हारे, ससि रानी | ||
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छोड़ तुम्हें परदेस गया मैं, ओ मसि रानी | छोड़ तुम्हें परदेस गया मैं, ओ मसि रानी | ||
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पर, इस बीच जीवन ने हमें कितना बदला | पर, इस बीच जीवन ने हमें कितना बदला | ||
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पीट-पीट कर बना दिया उसने हमें तबला | पीट-पीट कर बना दिया उसने हमें तबला | ||
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क्या चाहो तुम मुझ से अब, मैं क्या जानूँ | क्या चाहो तुम मुझ से अब, मैं क्या जानूँ | ||
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बात कहो गर बिल्कुल सीधी तो पहचानूँ | बात कहो गर बिल्कुल सीधी तो पहचानूँ | ||
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(रचनाकाल: 2002) | (रचनाकाल: 2002) | ||
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12:58, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
तुम कविता में इतना क्यों इतराती हो
क्या बात है जो मुझे नहीं बतलाती हो
शब्द-शब्द से नश्तर-तीर चुभोती हो
हाव-भाव से पीर हृदय में बोती हो
हाँ, मैं दोषी हूँ, समक्ष तुम्हारे, ससि रानी
छोड़ तुम्हें परदेस गया मैं, ओ मसि रानी
पर, इस बीच जीवन ने हमें कितना बदला
पीट-पीट कर बना दिया उसने हमें तबला
क्या चाहो तुम मुझ से अब, मैं क्या जानूँ
बात कहो गर बिल्कुल सीधी तो पहचानूँ
(रचनाकाल: 2002)