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"फेशबुक एक आत्‍मालोचना / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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अपना चेहरा उठाए
 
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खडे हैं हम बारहा
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मुकाबिल आपके
 
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अब आंखें हैं
 
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पर द़ष्टि नहीं है
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मन हैं
 
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पर उसकी उडान
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की बोर्ड से कंपूटर स्‍क्रीन तक है
 
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और उपलब्धियां हैं बेशुमार
 
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जहालत और पीडा से भरे
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इस जहान में
 
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अपना चेहरा लिए
 
अपना चेहरा लिए
खडे हैं हम
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खड़े हैं हम
  
 
सबसे असंपृक्‍त
 
सबसे असंपृक्‍त

18:45, 23 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

अपना चेहरा उठाए
खड़े हैं हम बारहा
मुकाबिल आपके

अब आंखें हैं
पर दृष्टि नहीं है

मन हैं
पर उसकी उड़ान
की बोर्ड से कंपूटर स्‍क्रीन तक है

काम कम है हमारे पास
और उपलब्धियां हैं बेशुमार

जहालत और पीड़ा से भरे
इस जहान में
अपना चेहरा लिए
खड़े हैं हम

सबसे असंपृक्‍त

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