भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पगडंडी / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | चौड़े रस्ते पर | + | सब चलते चौड़े रस्ते पर |
पगडंडी पर कौन चलेगा? | पगडंडी पर कौन चलेगा? | ||
− | + | पगडंडी जो | |
− | + | मिल न सकी है | |
− | + | राजपथों से, शहरों से | |
− | + | जिसका भारत | |
+ | केवल-केवल | ||
+ | खेतों से औ' गाँवों से | ||
− | + | इस अतुल्य भारत पर बोलो | |
− | + | सबसे पहले कौन मरेगा? | |
− | + | जहाँ केन्द्र से | |
− | + | चलकर पैसा | |
− | + | लुट जाता है रस्ते में | |
− | + | और परिधि | |
+ | भगवान भरोसे | ||
+ | रहती ठण्डे बस्ते में | ||
− | + | मारीचों का वध करने को | |
− | वनवासी | + | फिर वनवासी कौन बनेगा? |
− | + | कार-क़ाफिला | |
− | + | हेलीकॉप्टर | |
− | + | सभी दिखावे का धंधा | |
− | + | दो बित्ते की | |
+ | पगडंडी पर | ||
+ | चलता गाँवों का बन्दा | ||
− | + | कूटनीति का मुकुट त्यागकर | |
− | + | कंकड़-पथ को कौन वरेगा? | |
</poem> | </poem> |
14:20, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
सब चलते चौड़े रस्ते पर
पगडंडी पर कौन चलेगा?
पगडंडी जो
मिल न सकी है
राजपथों से, शहरों से
जिसका भारत
केवल-केवल
खेतों से औ' गाँवों से
इस अतुल्य भारत पर बोलो
सबसे पहले कौन मरेगा?
जहाँ केन्द्र से
चलकर पैसा
लुट जाता है रस्ते में
और परिधि
भगवान भरोसे
रहती ठण्डे बस्ते में
मारीचों का वध करने को
फिर वनवासी कौन बनेगा?
कार-क़ाफिला
हेलीकॉप्टर
सभी दिखावे का धंधा
दो बित्ते की
पगडंडी पर
चलता गाँवों का बन्दा
कूटनीति का मुकुट त्यागकर
कंकड़-पथ को कौन वरेगा?