भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इस मौसम में / अक्षय उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अक्षय उपाध्याय |संग्रह=चाक पर रखी धरती / अक्षय उ…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("इस मौसम में / अक्षय उपाध्याय" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
यह मौसम है फूलों का | यह मौसम है फूलों का | ||
− | और बग़ीचे | + | और बग़ीचे में चलती हैं बन्दूकें |
− | कहाँ हैं वे | + | कहाँ हैं वे चिड़ियाएँ जो |
घोंसलों के लिए खर लिए बदहवास भागती हैं | घोंसलों के लिए खर लिए बदहवास भागती हैं | ||
आसमान में ! | आसमान में ! |
16:32, 26 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
यह मौसम है फूलों का
और बग़ीचे में चलती हैं बन्दूकें
कहाँ हैं वे चिड़ियाएँ जो
घोंसलों के लिए खर लिए बदहवास भागती हैं
आसमान में !
यह मौसम है गाने क
और मेरे घर में भूख नाचती है
कहाँ हैं वे स्वर जो
आदमी को बड़ा करने के लिए अपना रक्त लिए
हवाओं में छटपटाते हैं !
यह मौसम है
बच्चों के लिए बड़े होने का
स्वप्न देखने का
और उनकी नींद में युद्ध शुरू होता है
कहाँ हैं वे बच्चे जो
लड़ रहे आदमी को उसके स्वप्नों के साथ
ज़मीन पर टिकाएँगे ।
मौसम के ख़िलाफ़ ऐसा क्यों होता है
यह जानने के लिए
कवि जब-जब मोर्चे पर
बहाल होता है
मार दिया जाता है
लेकिन
कभी नहीं मरती कविता
दरअसल
वह सिर्फ़ अनुकूल मौसम की बहाली होती है
एक कवि के मरने का मतलब है
पृथ्वी पर असंख्य कविताओं का जन्म ।