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11:18, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
बोल्यां विगर समझलै भाई, वै बातां
बोलण में कोनी चतुराई, वै बातां
थारै लेखे हंसी-मसखरी होवैली
म्हारै लेखै है अबखाई, वै बातां
म्हैं तो समझ्यो म्हैं जाणू कै तू जाणै
कुण अखबारां में छपवाई, वै बातां
जिण बातां सूं प्रीतड़ली परवाण चढ़ी
आज करावै रोज लड़ाई, वै बातां
"जोगेसर" जिद छोड़ सकै तो छोड़ परी
सैण-सगा कितरी समझाई वै बातां