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"बलिदान चाहिए / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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(रमा द्विवेदी की रचनाएँ)
 
 
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इंसानियत विलख रही इंसान ही के खातिर,<br>
 
इंसानियत विलख रही इंसान ही के खातिर,<br>
इंसाफ दे सके जो ऎसा सत्यवान चाहिए.....<br>
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इंसाफ दे सके जो ऐसा  सत्यवान चाहिए.....<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
  
  
 
बचपन यहां पे देखो बन्धुआ बना हुआ है,<br>
 
बचपन यहां पे देखो बन्धुआ बना हुआ है,<br>
दिला सके जो इनको मुक्ति ऎसा दयावान चाहिए....<br>
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दिला सके जो इनको मुक्ति ऐसा दयावान चाहिए....<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
  
  
 
मुखौटों के पीछे क्या है कोई जानता नहीं है,<br>
 
मुखौटों के पीछे क्या है कोई जानता नहीं है,<br>
दिखा सके जो असली चेहरा ऎसा महान चाहिए....<br>
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दिखा सके जो असली चेहरा ऐसा महान चाहिए....<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
  
  
रोज़ मर रहे  हैं यहां कुर्सी के वास्ते,<br>
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रोज मर रहे  हैं यहां कुर्सी के वास्ते,<br>
जो देश के लिए जिए-मरे,ऎसा इक नाम चाहिए....<br>
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जो देश के लिए जिए-मरे,ऐसा इक नाम चाहिए....<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
  
  
 
सदियों के बाद भी जो इंसां न बन सकी है,<br>
 
सदियों के बाद भी जो इंसां न बन सकी है,<br>
समझ सके जो इनको इंसान,ऎसा कद्र्दान चाहिए...<br>
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समझ सके जो इनको इंसान,ऐसा कद्र्दान चाहिए...<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
  
  
मेहनत से नाता टूटा सब यूंही पाना चाहें,<br>
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मेहनत से नाता टूटा सब यूं ही पाना चाहें,<br>
 
गीतोपदेश वाला कोई  श्याम  चाहिए...<br>
 
गीतोपदेश वाला कोई  श्याम  चाहिए...<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
 
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>

22:48, 12 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

मेरे देश को भगवान नहीं,सच्चा इंसान चाहिए,
गांधी-सुभाष जैसा बलिदान चाहिए।


इंसानियत विलख रही इंसान ही के खातिर,
इंसाफ दे सके जो ऐसा सत्यवान चाहिए.....
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।


बचपन यहां पे देखो बन्धुआ बना हुआ है,
दिला सके जो इनको मुक्ति ऐसा दयावान चाहिए....
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।


मुखौटों के पीछे क्या है कोई जानता नहीं है,
दिखा सके जो असली चेहरा ऐसा महान चाहिए....
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।


रोज मर रहे हैं यहां कुर्सी के वास्ते,
जो देश के लिए जिए-मरे,ऐसा इक नाम चाहिए....
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।


सदियों के बाद भी जो इंसां न बन सकी है,
समझ सके जो इनको इंसान,ऐसा कद्र्दान चाहिए...
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।


मेहनत से नाता टूटा सब यूं ही पाना चाहें,
गीतोपदेश वाला कोई श्याम चाहिए...
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।