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{{KKCatKavita‎}}<poem>जागो, जीवन के अभिमानी !
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{{KKPustak
जागो, जीवन के अभिमानी !
+
|चित्र=
लील रहा मधु-ऋतु को पतझर,
+
|नाम=आज हिमालय बोला
मरण आ रहा आज चरण धर,
+
|रचनाकार=[[कन्हैया लाल सेठिया]]
कुचल रहा कलि-कुसुम,
+
|प्रकाशक=
कर रहा अपनी ही मनमानी !
+
|वर्ष=
जागो, जीवन के अभिमानी !
+
|भाषा=राजस्थानी
साँसों में उस के है खर दव,
+
|विषय=कविता 
पद चापों में झंझा का रव,
+
|शैली=
आज रक्त के अश्रु रो रही-
+
|पृष्ठ=
निष्ठुर हृदय हिमानी !
+
|ISBN=
जागो, जीवन के अभिमानी !
+
|विविध=काव्य
हुआ हँस से हीन मानसर,
+
}}
वज्र गिर रहे हैं अलका पर,
+
 
भरो वक्रता आज भौंह में,
+
* [[आज हिमालय बोला(शीर्षक-कविता) / कन्हैया लाल सेठिया]]
ओ करुणा के दानी !
+
जागो, जीवन के अभिमानी !</poem>
+

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आज हिमालय बोला
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रचनाकार कन्हैया लाल सेठिया
प्रकाशक
वर्ष
भाषा राजस्थानी
विषय कविता
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध काव्य
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।