भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हळदीघाटी! / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया | |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=मायड़ रो हेलो / कन्हैया लाल सेठिया |
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
− | {{KKCatKavita}}<poem>कोनी कोरो नांव | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | कोनी कोरो नांव | ||
रेत रो हळदीघाटी, | रेत रो हळदीघाटी, | ||
अठै उग्यो इतिहास | अठै उग्यो इतिहास |
07:54, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
कोनी कोरो नांव
रेत रो हळदीघाटी,
अठै उग्यो इतिहास
पुजीजै इण री माटी,
कण-कण घण अणमोल
रगत स्यूं अंतस भीज्यो।
नहीं निछतरी भोम
गिगन रो हियो पतीज्यो,
गूंजी चेतक टाप
जुद्ध रा ढोल घुरीज्या,
पड़ी ना’र री थाप
जुलम रा पग डफळीज्या,
राच्यो रण घमसाण
बाण स्यूं भाण ढकीज्यो।
लसकर लोही झ्याण
अथग खांडो खड़कीज्यो,
मूंघी मोली राड़
स्याळ स्यूं सिंग अपड़ीज्यो,
दब्यो दरप रो सरप
सांतरो फण चिगदीज्यो,
नहीं तेल नारेळ
भटां रा मूंड चढीज्या,
धड़ लड़ धोयो कळख
जबर दुसमण रळकीज्या,
दीन्ही गोडी टेक
अठै आयोड़ी हूणी,
माथै लगा बभूत
पूत, जामण री धूणी,
थिरचक डांडी साच
पालड़ै तिरथ तुलीजै।
इण री चिमठी धूळ
बापड़ो सुरग मुलीजै।