भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कछार / प्रभात कुमार सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभात कुमार सिन्हा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> माँ आर…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभात कुमार सिन्हा
+
|रचनाकार=प्रभात सरसिज
 
|संग्रह=  
 
|संग्रह=  
 
}}
 
}}

14:01, 19 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण


माँ आर्द्र थी
नदी का शीतल कछार थी माँ
पिता पीली सरसों के खेत थे
जो कछार तक फैले थे

मैं मंद-पवन
मंद-पवन मैं कछार से उठा
और सरसों के पीले मुरेठों को
छूकर वापस हुआ तो
संपूर्ण कछार सुवासित हो उठा