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"कब तक सहें / राधेश्याम बन्धु" के अवतरणों में अंतर
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− | + | चतुर्दिक व्याप्त | |
− | + | गीदड़ -भेड़िए | |
− | + | मांस के भुक्खड़ | |
− | + | ठसाठस भर चुके नुक्कड़ | |
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+ | कब तक रहें ? | ||
− | उफ़ ! | + | तोड़ते दम |
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+ | रोज ही एहसास | ||
+ | गुमसुम मौन है आकाश | ||
+ | उफ़ !सहमती | ||
+ | इस हवा के साथ | ||
+ | हम कब तक बहें ? | ||
− | + | बंधु मेरे ! यातना यह | |
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20:10, 27 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
यातना यह
और हम कब तक सहें ?
चतुर्दिक व्याप्त
गीदड़ -भेड़िए
मांस के भुक्खड़
ठसाठस भर चुके नुक्कड़
बंद दरवाजे
हमारी खिड़कियाँ
कब तक रहें ?
तोड़ते दम
सूर्य -पथ पर
रोज ही एहसास
गुमसुम मौन है आकाश
उफ़ !सहमती
इस हवा के साथ
हम कब तक बहें ?
बंधु मेरे ! यातना यह
और हम कब तक सहें ?