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छठौ फेरौ / अर्जुनदेव चारण

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|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
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चार फेरां
राख म्हनै आगै
म्हैं
छठौ फेरौ लेवूं
 
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