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"यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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११ मई १९३१ को मथुरा के एक प्रतिष्ठित चतुर्वेदी परिवार में आपका जन्म हुआ। १४ मार्च २००५ को गौलोक वास सिधारने तक आप पूर्ण रूपेण साहित्य को समर्पित रहे।
 
  
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११ मई १९३१ को मथुरा के एक प्रतिष्ठित चतुर्वेदी परिवार में आपका जन्म हुआ। १४ मार्च २००५ को गौलोक वास सिधारने तक आप पूर्ण रूपेण साहित्य को समर्पित रहे।
  
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आप एक मँझे हुए भागवत कथाकार भी थे।
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काव्य, यंत्र-मंत्र, कर्म काण्ड, ज्योतिष, पाण्डित्य एवम् शस्त्र विद्या जैसे अनेकों क्षेत्रों में महारत रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रात:स्मरणीय गुरुवर श्री यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' जी को उन के अविस्मरणीय योगदान के लिए अनेकानेक संस्थाओं ने पुरस्कृत सम्मानित किया।
 
काव्य, यंत्र-मंत्र, कर्म काण्ड, ज्योतिष, पाण्डित्य एवम् शस्त्र विद्या जैसे अनेकों क्षेत्रों में महारत रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रात:स्मरणीय गुरुवर श्री यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' जी को उन के अविस्मरणीय योगदान के लिए अनेकानेक संस्थाओं ने पुरस्कृत सम्मानित किया।
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आपने कई ग्रंथों का सफलता पूर्वक संपादन किया और श्री गोपाल पंचांग की शुरुआत भी आप से ही हुई थी।
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बेबाक अभिव्यक्ति के लिए प्रख्यात श्री 'प्रीतम' जी ने अपने जीवन काल में अनेकों शिष्यों को अपने अर्जित ज्ञान से सँवारा।
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08:14, 1 मार्च 2012 के समय का अवतरण

यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'



जन्म

११ मई १९३१ को मथुरा के एक प्रतिष्ठित चतुर्वेदी परिवार में आपका जन्म हुआ। १४ मार्च २००५ को गौलोक वास सिधारने तक आप पूर्ण रूपेण साहित्य को समर्पित रहे।


कृतियाँ

'राष्ट्र हित शतक' एवम् 'पंकज दूत' जैसे खण्ड काव्यों सहित विभिन्न विषयों पर आपकी दर्जनों पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। कुछ प्रमुख

विविध कृतियाँ

आप एक मँझे हुए भागवत कथाकार भी थे।

पुरस्कार

काव्य, यंत्र-मंत्र, कर्म काण्ड, ज्योतिष, पाण्डित्य एवम् शस्त्र विद्या जैसे अनेकों क्षेत्रों में महारत रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रात:स्मरणीय गुरुवर श्री यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' जी को उन के अविस्मरणीय योगदान के लिए अनेकानेक संस्थाओं ने पुरस्कृत सम्मानित किया।

संपादन

आपने कई ग्रंथों का सफलता पूर्वक संपादन किया और श्री गोपाल पंचांग की शुरुआत भी आप से ही हुई थी।

कार्यक्षेत्र

बेबाक अभिव्यक्ति के लिए प्रख्यात श्री 'प्रीतम' जी ने अपने जीवन काल में अनेकों शिष्यों को अपने अर्जित ज्ञान से सँवारा।

निवेदन

यदि आपके पास अन्य विवरण् उपलब्ध है तो कृपया कविता कोश टीम को भेजें