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"क्यों कभी / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=केवल एक पत्ती ने / नंदकिशोर आचार्य
 
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क्याक रे वह
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क्या करे वह
 
जो कभी लू है
 
जो कभी लू है
 
कभी बर्फ़ानी
 
कभी बर्फ़ानी

11:06, 28 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

क्या करे वह
जो कभी लू है
कभी बर्फ़ानी
आँधी कभी
शीतल कभी समीर—
हवा का कुछ नहीं
               अपना

मौसम हो कर वह
जैसे छूटी है मुझ को
मुझ में हो कर
       क्यों कभी
मौसम नहीं होती वह ?

4 जून, 2009