Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
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जननी जिसकी जन्मभूमि हो; वसुन्धरा ही काशी हो | जननी जिसकी जन्मभूमि हो; वसुन्धरा ही काशी हो | ||
− | + | विश्व स्वदेश, भ्रातृ मानव हों, पिता परम अविनाशी हो | |
− | विश्व स्वदेश, | + | |
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दम्भ न छुए चरण-रेणु वह धर्म नित्य-यौवनशाली | दम्भ न छुए चरण-रेणु वह धर्म नित्य-यौवनशाली | ||
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सदा सशक्त करों से जिसकी करता रहता रखवाली | सदा सशक्त करों से जिसकी करता रहता रखवाली | ||
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शीतल मस्तक, गर्म रक्त, नीचा सिर हो, ऊँचा कर भी | शीतल मस्तक, गर्म रक्त, नीचा सिर हो, ऊँचा कर भी | ||
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हँसती हो कमला जिसके करूणा-कटाक्ष में, तिस पर भी | हँसती हो कमला जिसके करूणा-कटाक्ष में, तिस पर भी | ||
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खुले-किवाड़-सदृश हो छाती सबसे ही मिल जाने को | खुले-किवाड़-सदृश हो छाती सबसे ही मिल जाने को | ||
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मानस शांत, सरोज-हृदय हो सुरभि सहित खिल जाने को | मानस शांत, सरोज-हृदय हो सुरभि सहित खिल जाने को | ||
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जो अछूत का जगन्नाथ हो, कृषक-करों का ढृढ हल हो | जो अछूत का जगन्नाथ हो, कृषक-करों का ढृढ हल हो | ||
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दुखिया की आँखों का आँसू और मजूरों का कल हो | दुखिया की आँखों का आँसू और मजूरों का कल हो | ||
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प्रेम भरा हो जीवन में, हो जीवन जिसकी कृतियों में | प्रेम भरा हो जीवन में, हो जीवन जिसकी कृतियों में | ||
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अचल सत्य संकल्प रहे, न रहे सोता जागृतियों में | अचल सत्य संकल्प रहे, न रहे सोता जागृतियों में | ||
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ऐसे युवक चिरंजीवी हो , देश बना सुख-राशी हो | ऐसे युवक चिरंजीवी हो , देश बना सुख-राशी हो | ||
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और इसलिये आगे वे ही महापुरुष अविनाशी हो | और इसलिये आगे वे ही महापुरुष अविनाशी हो | ||
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12:43, 3 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
जननी जिसकी जन्मभूमि हो; वसुन्धरा ही काशी हो
विश्व स्वदेश, भ्रातृ मानव हों, पिता परम अविनाशी हो
दम्भ न छुए चरण-रेणु वह धर्म नित्य-यौवनशाली
सदा सशक्त करों से जिसकी करता रहता रखवाली
शीतल मस्तक, गर्म रक्त, नीचा सिर हो, ऊँचा कर भी
हँसती हो कमला जिसके करूणा-कटाक्ष में, तिस पर भी
खुले-किवाड़-सदृश हो छाती सबसे ही मिल जाने को
मानस शांत, सरोज-हृदय हो सुरभि सहित खिल जाने को
जो अछूत का जगन्नाथ हो, कृषक-करों का ढृढ हल हो
दुखिया की आँखों का आँसू और मजूरों का कल हो
प्रेम भरा हो जीवन में, हो जीवन जिसकी कृतियों में
अचल सत्य संकल्प रहे, न रहे सोता जागृतियों में
ऐसे युवक चिरंजीवी हो , देश बना सुख-राशी हो
और इसलिये आगे वे ही महापुरुष अविनाशी हो