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"महाकवि तुलसीदास / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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अखिल विश्व में रमा हुआ है राम हमारा | अखिल विश्व में रमा हुआ है राम हमारा | ||
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सकल चराचर जिसका क्रीड़ापूर्ण पसारा | सकल चराचर जिसका क्रीड़ापूर्ण पसारा | ||
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इस शुभ सत्ता को जिसमे अनुभूत किया था | इस शुभ सत्ता को जिसमे अनुभूत किया था | ||
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मानवता को सदय राम का रूप दिया था | मानवता को सदय राम का रूप दिया था | ||
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नाम-निरूपण किया रत्न से मूल्य निकाला | नाम-निरूपण किया रत्न से मूल्य निकाला | ||
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अन्धकार-भव-बीच नाम-मणि-दीपक बाला | अन्धकार-भव-बीच नाम-मणि-दीपक बाला | ||
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दीन रहा, पर चिन्तामणि वितरण करता था | दीन रहा, पर चिन्तामणि वितरण करता था | ||
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भक्ति-सुधा से जो सन्ताप हरण करता था | भक्ति-सुधा से जो सन्ताप हरण करता था | ||
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प्रभु का निर्भय-सेवक था, स्वामी था अपना | प्रभु का निर्भय-सेवक था, स्वामी था अपना | ||
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जाग चुका था, जग था जिसके आगे सपना | जाग चुका था, जग था जिसके आगे सपना | ||
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प्रबल-प्रचारक था जो उस प्रभु की प्रभुता का | प्रबल-प्रचारक था जो उस प्रभु की प्रभुता का | ||
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अनुभव था सम्पूर्ण जिसे उसकी विभुता का | अनुभव था सम्पूर्ण जिसे उसकी विभुता का | ||
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राम छोड़कर और की, जिसने कभी न आस की | राम छोड़कर और की, जिसने कभी न आस की | ||
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'राम-चरित-मानस'-कमल जय हो तुलसीदास की | 'राम-चरित-मानस'-कमल जय हो तुलसीदास की | ||
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01:12, 20 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
अखिल विश्व में रमा हुआ है राम हमारा
सकल चराचर जिसका क्रीड़ापूर्ण पसारा
इस शुभ सत्ता को जिसमे अनुभूत किया था
मानवता को सदय राम का रूप दिया था
नाम-निरूपण किया रत्न से मूल्य निकाला
अन्धकार-भव-बीच नाम-मणि-दीपक बाला
दीन रहा, पर चिन्तामणि वितरण करता था
भक्ति-सुधा से जो सन्ताप हरण करता था
प्रभु का निर्भय-सेवक था, स्वामी था अपना
जाग चुका था, जग था जिसके आगे सपना
प्रबल-प्रचारक था जो उस प्रभु की प्रभुता का
अनुभव था सम्पूर्ण जिसे उसकी विभुता का
राम छोड़कर और की, जिसने कभी न आस की
'राम-चरित-मानस'-कमल जय हो तुलसीदास की